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अखिलेश यादव का छोटे दलों से गठबंधन : नए सियासी समीकरण से राजगद्दी पाने की जुगत

Akhilesh Yadav's alliance with small parties: The new political equation is trying to get the throne

25 नवंबर 21
लखनऊ : समाजवादी पार्टी की छोटे दलों से गठबंधन की राजनीति ने रफ्तार पकड़ ली है। सपा के इस हथियार से सत्ताधारी दल भाजपा में बैचेनी होना स्वाभाविक है। हालांकि अभी कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन पर कोई खबर सामने नहीं आ आई है। अखिलेश की खामोशी और प्रियंका गांधी के अकेले लड़ने के एलान के कई सियासी मतलब निकाले जा रहे हैं। फिलहाल अखिलेश गठबंधन के जरिये नए सियासी समीकरण बनाकर सत्ता पाने की कवायद में जुट गए हैं।

सपा का रालोद से गठबंधन तय

सपा और रालोद से गठबंधन की चर्चा तो कई महीने से चल रही थी, लेकिन बीते दिन जिस तरह अखिलेश यादव और जयंत चौधरी ने साथ-साथ फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए हैं उससे साफ होता है कि दोनों दलों के बीच गठबंधन के साथ सीटों का बंटवारा भी तय हो गया है। जयंत चौधरी ने समाचार एजेंसी को बताया कि सपा और रालोद का गठबंधन तय है। इस महीने के अखिरी तक गठबंधन का एलान कर दिया जाएगा। सपा सूत्रों का कहना है कि जल्दी ही अखिलेश और जयंत संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस करके सीटों के बंटवारे की जानकारी सा­ाा करेंगे। माना जा रहा है कि रालोद के खाते में पश्चिमी उप्र की 36 सीटें जा सकती हैं। दोनों दलों ने इससे पहले 2017 का चुनाव विधानसभा चुनाव और 2019 का लोकसबा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था

अपना दल से भी बनी सपा की बात

अपना दल कृष्णा पटेल गुट के साथ भी सपा का गठबंधन तय हो गया है। कृष्णा पटेल ने बकायदा पत्रकारों के सामने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करने का एलान किया है। कृष्णा पटेल ने बुधवार को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद गठबंधन की घोषणा की है। माना जा रहा है कि अपना दल से करीब 10 सीटों पर तालमेल हो सकता है जिसमें कृष्णा पटेल प्रतापगढ़ सदर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती हैं। अभी सीटों के बंटवारे को लेकर अंतिम फैसला होना बाकी है। गौरतलब है कि अपना दल पर वर्चस्व को लेकर परिवार में कलह भी चल रही है। कृष्णा पटेल की बेटियां भी पार्टी पर अपना कब्जा जताती हंैं।

प्रसपा से गठबंधन में अभी पेंच

अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल यादव में आई रिश्तों में खटास जरूर कम हुई है, लेकिन अभी गठबंधन पर बात मजबूती से नहीं टिक पा रही है। गठबंधन को लेकर कयासबाजी के बीच कई तरह की चर्चाएं भी सामने आती रहती हैं। अब खबर फैली है कि शिवपाल सिंह यादव ने अपनी पार्टी के लिए सौ सीटों की मांग की है। हालांकि अखिलेश यादव अथवा सपा की तरफ कोई भी संकेत व बात सामने नहीं आई है। सियासी हल्कों में चर्चा है कि अखिलेश और शिवपाल में गठबंधन आसान नहीं है। शिवपाल सिंह यादव ने गठबंधन के लिए हामी जरूर भर दी है, लेकिन सीटों की संख्या और बंटवारे को लेकर काफी जद्दोजहद होना तय है।

कांग्रेस से परहेज क्यों सपा को

अखिलेश यादव सत्ताधारी भाजपा को हर मोर्चे पर घेरने के साथ हर पहलु पर स्वंय को मजबूत करने में जुटे हैं। विजय यात्रा की सफलता से गदगद अखिलेश ने छोटे दलों से गठबंधन तेज कर दिया है। इस बीच तेजी से सूबे में उभेरती कांग्रेस से गठबंधन पर अभी खामोशी है। सपा सूत्र बताते हैं कि अखिलेश अभी कांग्रेस से गठबंधन करने को तैयार नहीं है, हालांकि सियासत में असंभव कुछ नहीं होता है। इस बीच प्रियंका गांधी के प्रदेश में अकेले लड़ने के एलान से गठबंधन की उम्मीदें ध्वस्त होती दिख रही हैं। जानकार यह भी मानते हैं कि पिछले चुनाव में गठबंधन का फायदा नहीं मिलने के कारण भी दोनों दल अभी नफा-नुकसान का आंकलन कर रहे हैं।

आप से भी गठबंधन के कयास

समाजवादी पार्टी के गठबंधन के लिए सभी दलों से पहल करने के बीच आप सांसद व प्रदेश प्रभारी संजय सिंह की अखिलेश से मुलाकात के भी सियासी मायने निकाले जाने लगे हैं। माना जा रहा है कि आप भी सपा के साथ गठबंधन कर सकती है। हालांकि अभी न सपा ने न आप ने इस तरह का संकेत नहीं दिया है। जाहिर है कि चुनाव से पहले गठबंधन के अलावा चुनाव बाद के सहयोग पर दोनों दलों में चर्चा हुई हो।

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