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अपने बेटों और रिश्तेदारों की फर्मों से सीएमओ एटा ने की सरकारी खरीद

अपने बेटों और रिश्तेदारों की फर्मों से सीएमओ एटा ने की सरकारी खरीद

अपने बेटों और रिस्तेदारो की फर्मो से सीएम

सरकारी पैसों का दुरुपयोग।

एटा/एटा स्वास्थ्य विभाग के सीएमओ के यूं तो तमाम कारनामे लगातार मीडिया की सुर्खियों में दिन प्रतिदिन प्रकाशित हो रहे हैं।लेकिन प्रदेश के ही नही अपितु केंद्र के स्वास्थ्य विभाग के मंत्रियो द्वारा कोई कार्यवाही न करना कही कही सरकार की भ्रष्टाचार मुक्त भारत और भ्रष्टाचार मुक्त उत्तर प्रदेश की नीति पर एक प्रश्न चिन्ह सा लगा प्रतीत होता है।अब एक और नया कारनामा सीएमओ एटा का खुलकर सामने आया है, जिसमे सरकारी खरीद उन्होंने अपने बेटों और रिश्तेदारों की फर्मो से की है।अब बताए उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जी की कब तक आप भृष्टाचारियों को कब तक बचाते रहेंगे।सीएमओ एटा के कारनामो की दो आडियो अभी हाल ही में वायरल हुई थी।जिसकी जानकारी सभी उच्चाधिकारियों को दे दी गई थी।लेकिन दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि सीएमओ साहब के खिलाफ तो कोई जांच नहीं कि गई,अपितु जिस बाबू ने पीड़ित होकर सारा राज खोला उसी के विरुद्ध कार्यवाही कर दी गई,और जांच भी बिठा दी गई।यहाँ एक कहावत और चरितार्थ होती नजर आ रही है, जिसमे हमेसा छोटी मछली को बड़ी मछली खा जाती हैं।यही हुआ एटा स्वास्थ्य विभाग के बाबू के साथ सारी असलियत जानने के बाबजूद भी सीएमओ एटा के कारनामों जिनमे एक कनिष्ठ महिला लिपिक को सारे बाबुओं के चार्ज किस कानून के अंतर्गत दिए गए,जबकि वह महिला उस पद की पात्र नहीं है।एक कनिष्ठ महिला को तमाम पदों की जिम्मेदारी देना ही बाबुओं के मध्य विवाद का कारण बना।पर उच्चाधिकारियों ने अपने उच्च अधिकारी को बचाते हुए एक बाबू पर अपने अधिकार के तहत कारीवाही कर सत्य के गले पर छुरी चला दी।याद रहे ईश्वर की लाठी में आवाज नही होती है, गरीब की हाय नक्कारे खुदा होती है।पाप का घड़ा जब भरता है, तब क्या हाल होगा उन लोगों का जो सत्य की नही अपितु भृष्टाचारियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।

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