किसान आंदोलन का एक वर्ष : अब नया नारा गूंजा-जंग अभी जारी है, अब एमएसपी की बारी है
One year of farmer's movement: The battle is still on, now it is the turn of the MSP
26 नवंबर 21, नई दिल्ली : किसानों के कड़े संघर्ष के एक वर्ष होने पर कहीं जीत का माहौल है तो कहीं और संघर्ष का आह्वान। किसान तीनों कृषि कानून वापस लेने के एलान के बाद अब न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी के लिए आंदोलन को जारी रखने का एलान करते दिखाई दे रहे हैं। यही नहीं बिजली नीति और आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज केस वापसी की मांग भी उठाई जा रही है।
थोड़ी खुशी थोड़ा गम: टिकैत
किसान नेता राकेश टिकैत ने नया नारा दिया है कि जंग अभी जारी है, अब एमएसपी की बारी है। टिकैत के आह्वान पर शुक्रवार को आंदोलन स्थलों पर किसानों की संख्या भी बढ़ गई है। आंदोलन के एक वर्ष पूर्ण होने पर टिकैत ने ट्वीट किया है कि एक साल का लंबा संघर्ष बेमिसाल, थोड़ी खुशी थोड़ा गम, लड़ रहे है जीत रहे हैं, लड़ेंगे जीतेंगे, न्यूनतम समर्थन मूल्य किसानों का अधिकार।
आशिंक जीत दिवस मनाया किसानों ने
कृषि कानून वापस लिए जाने के एलान से खुश संयुक्त किसान मोर्चा ने शुक्रवार को आंशिक जीत दिवस के रूप में मना रहा है। कंडली बार्डर पर स्थितियां बदल गई हैं और किसानों की संख्या बीती शाम से बढ़ने लगी थी। किसान ट्रैक्टर ट्राली से पहुंच रहे हैं और किसानों की संख्या हजारों में पहुंच गई है। भीड़ बढ़ने के साथ रास्ते में कई जगह लंगर सेवा भी शुरू हो गई है। किसानों का कहना है कि करीब सात सौ किसान आंदोलन में शहीद हो चुके हैं। सरकार इनके आश्रितों को मुआवजा दे और पुनर्वास की व्यवस्था करे।
पहले दिन कानून वापस लेने की तैयारी
केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस लेने के एलान के बाद संसद में अब इन्हें जल्दी ही वापस लेने की तैयारी भी शुरू कर दी है। सरकार की कोशिश होगी कि संसद सत्र के पहले दिन ही तीनों काानून को वापस लेने की प्रक्रिया पूरी हो जाए। इसके लिए भाजपा ने अपने सांसदों को संसद में मौजूद रहने की हिदायत दी है। राज्सभा में भी सभी सांसदों को 29 नवंबर को आवश्यक रूप से सदन में रहने को कहा गया है। भाजपा ने कहा है कि इस दिन सदन में महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा होनी है।