06 दिसंबर 21, नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा तीनों कृडषि कानून वापस लेने के बाद भी सरकार और किसान संगठनों के बीच गतिरोध बना हुआ है। किसान अभी आंदोलन खत्म करने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने अब न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ आंदोलन के दौरान मरने वाले साथियों की सहायता के साथ विभिन्न मुद्दों को उठाया है। किसान संगठनों की मांग है कि सरकार उनसे वार्ता करके इन मुद्दों का समाधान भी करे, तभी आंदोलन खत्म किया जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा ने बनाई कमेटी
न्यूज एजेंसी ने खबर दी है कि संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकारी प्रतिनिधियों से बातचीत करने की पहल करते हुए एक कमेटी का गठन किया है। पांच सदस्यीय कमेटी ही सरकार से बातचीत में किसानों का पक्ष रखेगी और फैसला भी ले सकेगी। एजेंसी ने राकेश टिकैत के हवाले से बताया कि समिति में बलबीर सिंह राजेवाल, शिव कुमार कक्का, गुरनाम सिंह चारुनी, युद्धवीर सिंह और अशोक धवले होंगे। संयुक्त किसान मोर्चा की अगली बैठक 7 दिसंबर को बुलाई गई है। जानकार मानते हैैं कि किसानों ने कमेटी गठित करके गेंद अब सरकार के पाले में डाल दी है। गौरतलब है कि पहले भी आंदोलन शुरू होने पर किसानों और सरकारी प्रतिनिधिदल के बीच ग्यारह मर्तबा वार्ता हो चुकी है।
अभी सुलटाने हैं कई मुद्दे
दरअसल, किसान आंदोलन की प्रमुख मांग थी तीन कृषि कानून वापस लेने की। आंदोलन के शुरुआत में ही किसानों ने सरकारी दल से बातचीत करते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य और बिजली नीति को भी जोड़ दिया था। करीब एक साल से चल रहे आंदोलन के दौरान सात सौ किसानों की मौत होना किसानों द्वारा बताया जा रहा है जिसमें लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलने तथा हरियाणा में लाठीचार्ज करने से किसानों की मौत भी शामिल है। किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर विभिन्न प्रांतों में थानों में मुकदमे भी दर्ज किए गए हैं। किसान चाहते हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ इन मुद्दों का समाधान भी बातचीत से निकाला जाए। देखना है कि अब सरकार का रुख क्या रहता है।