24 नवंबर 21
जयपुर : सूफी खानकाह एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी राष्ट्रीय एकीकरण में खानकाहों और सूफियों की कुबार्नी की गाथा को सारे देश में आम करने के लिए निकले हुए हैं। वह खानकाह मीर कुर्बान अली साहब में उर्स गौस पाक के मौके पर आयोजिात शानदार जश्ने चिरागा में शामिल हुए। इस मौके पर दरगाह के सज्जादा नशीन और सूफी खानकाह एसोसिएशन के राष्ट्रीय मुख्य संरक्षक राजस्थान राज्य उर्दू अकादमी के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री सय्यद डॉ. हबीबुर्रहमान नियाजी ने खानकाह में इस्तकबाल किया। सूफी परंपरा के कई सिलसिलों, कादरी, चिश्ती, नक्शबंदी, निजामी, नियाजी आदि की खिलाफत और इजाजत देकर दस्तारबंदी की तथा शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
इश्क में नाफरमानी गुमराही है
मुख्य अतिथि सूफी खानकाह एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी ने कहा कि तसव्वुफ अपने रब को पहचानने का रास्ता है जो पीर, मुर्शिद यानी गुरु से मिलता है। पवित्र कुरान की आयत “जिसे अल्लाह हिदायत नहीं देता उसे नहीं मिलता कोई वली मुर्शिद” को उद्धृत करते हुए कहा कि अपने पीर यानी गुरु की शिक्षा पर चलते हुए ही इस मार्ग को तय किया जा सकता है। जो कोई खुद को गुरु का शिष्य कहता है और गुरु की शिक्षा के विपरीत कार्य करता है वो खुद को सूफी कहलाने का अधिकारी ही नहीं, क्योंकि तसव्वुफ इश्क से है और इश्क अगर नाफरमानी करने की बात कहे तो वो गुमराही है।
खानकाहों में है असली राष्ट्रीय एकीकरण
अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. सय्यद हबीबुर्रहमान नियाजी ने कहा कि भारत की चिश्ती सिलसिले की खानकाहों ने बिना तफरीक मजहब ओ मिल्लत के लोगों को जोड़ने के काम किया। जश्ने चिराग में चिराग रोशन करने वाले हाथ हिंदू भी हैं और मुसलमान भी यही राष्ट्रीय एकीकरण है और पवित्र दरगाहें इसका प्रतीक।
इस अवसर पर सूफी खानकाह एसोसिएशन यूथ विंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैय्यद फैजुर्रहमान नियाजी सज्जादा नशीन डा. सय्यद हबीबुर्रहमान नियाजी, प्रदेश उपाध्यक्ष सूफी खानकाह एसोसिएशन वाहिद हुसैन यजदानी, प्रदेश महासचिव अशफाक नकवी,प्रदेश सचिव सूफी निजामुद्दीन श्री अहमद नियाजी आदि उपस्थित रहे।