टवीटर पर ट्रेंड हुआ “जस्टिस फार रेलवे स्टूडेंट” : रेलवे पर युवाओं का हल्ला बोल
Justice for Railway student trended on twitter: youth attack on railways
01 दिसंबर 21, मुरादाबाद : रेलवे में नौकरी के लिए करीब तीन वर्षों से इंतजार कर रहे युवाओं ने बुधवार को सोशल मीडिया के माध्यम से रेल मंत्रालव पर हमला बोल दिया। ट्वीटर पर दिनभर जस्टिस फार रेलवे स्टूडेंट ट्रेंड करता रहा और युवाओं ने सोशल मीडिया पर अपना दुख-दर्द सााा करते हुए सरकार को पर भी सवाल उठाए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी ने भी सोशल मीडिया पर युवाओं का समर्थन किया है।
बेरोजगारों का यूं छलका दर्द
रेलवे में नौकरी की आस लगाए युवाओं ने सोशल मीडियाा पर कहा है कि तीन वर्ष हो गए, लेकिन नौकरी नहीं मिली। अब तो परिवार वाले भी सहयोग करने से कतराने लगे हैं। एक युवा ने वीडियो अपलोड करके कहा है कि जब नौकरी नहीं मिलनी और मजदूरी ही करनी है तो इतना पढ़कर क्या फायदा। इसी तरह लोगों ने अपने परिवार और समाज से मिलने वाले खट्टे और कड़वे अनुभवों को साााा किया है।
सरकार को इस तरह घेरा युवाओं ने
ट्वीटर पर युवाओं ने रेलवे मंत्रालय पर तमाम आरोप भी लगाए हैं। एक युवा ने लिखा है कि रेलवे ने नौकरी के आवेदन के नाम पर 864 करोड़ रुपये वसूले हैं, लेकिन नौकरी नहीं दी। बेरोजगार अभ्यर्थियों से रेलवे चल रहा है। कहा गया है कि रेलवे ने तीन वर्ष से ग्रुप डी की नौकरी नहंीं दी है, जबकि युवा कई धरने-प्रदर्शन भी कर चुके हैं।
उठाई गई हैं यह मांगें
सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अभ्यर्थियों ने सरकार से मांग की है कि आरएमएस का नोटिफिकेशन किया जाए, रेलवे ग्रुप डी परीक्षा की तिथि जारी हो, आरआरबी एनटीपीसी अभ्यर्थियों की ज्वाइनिंग तय समय पर हो, रेलवे अप्रेंटिस का रोजगार दिलाया जाए, भर्ती का समय निर्धारित किया जाए, लिखित परीक्षा का पेर्टन निर्धारित किया जाए, भर्ती का वार्षिक कलेंडर जारी किया जाए।
राहुल और प्रियंका भी युवाओं के साथ
राहुल गांधी ने ट्वीट किया है कि पहले रेलवे में नौकरी एक सम्मान की बात होती थी, आज रेलवे में नौकरी ही नहीं होती, जल्द ही, पहले-सा रेलवे ही नहीं होगा। जनता से अन्याय बंद करो।
इसी तरह प्रियंका गांधी ने लिखा है कि नरेंद्र मोदी जी आप अपने खरबपति मित्रों को तो कभी इतना इंतजार नहीं कराते। कृषि कानून बनने से पहले ही उनकी तैयारियां करा दी थीं, लेकिन युवाओं से आपकी क्या दुश्मनी है? रेलवे की परीक्षा की तैयारी करने वाले युवाओं की बात क्यों नहीं सुनी जा रही है?