धर्म करे धन न घटे-घटे न सरिता नीर,परमारथ के कारने साधुन धरा शरीर।*
धर्म करे धन न घटे-घटे न सरिता नीर,परमारथ के कारने साधुन धरा शरीर।*

*धर्म करे धन न घटे-घटे न सरिता नीर,परमारथ के कारने साधुन धरा शरीर।*
एटा- ठंड से सिकुड़ते,गरीब असहाय बच्चों की मदद को जो हाथ आगे आते हैं, उन्हें ईश्वर का सानिध्य प्राप्त रहता है।यूं तो भारत मे बहुत बड़े-बड़े पैसे वाले अपनी रहीसी के मद में मदमस्त रहते हैं, उनकी दशा यह होती है, कि न तो वे उस अकूत सम्पत्ति का आनन्द स्वयं उठा पाते न ही उस जमा की हुई सम्पत्ति से किसी गरीब मजलूम की मदद करते हैं।ऐसे लोगों की सामाजिक प्रतिष्ठा नगण्य रहती है।किसी कवि कि ये पंक्तियां याद आ गई,जिसमें लिखा है। *धर्म करे धन न घटे-घटे न सरिता नीर,परमारथ के कारने साधुन धरा शरीर।* ये पंक्तियां एटा इटावा पीएसी के कमांडेंट आईपीएस आदित्य प्रकाश वर्मा पर सटीक बैठती हैं।उनके अंदर गरीब असहाय लोगों बच्चों की मदद करना एक प्रेरणा है।कई सम्मानों से सम्मानित आदित्य वर्मा हमेसा ही मासूम बच्चों की मदद के लिए आगे आते ही रहते हैं।चाहे किसी गरीब बच्चे की पढ़ाई की जिम्मेदारी या फिर ठंड में सिकुड़ते बच्चों का दर्द उन्हें झकझोर देता है।लगातार ठंड में बच्चों को स्विटर,मोजा, गर्म कपड़े बांटते रहना उनकी दयालुता का परिचायक बन चुका है।इसी कड़ी में उन्होंने मकर संक्रांति के पावन पर्व पर ईंट भट्टों पर कार्यरत गरीबों के बच्चों के मध्य पहुंच कर उनको ठंड से बचाव के गर्म कपडे आदि बाँटकर उनके दर्द में शामिल होकर धर्म लाभ कमाया।आदित्य वर्मा की दान करने की प्रवृत्ति की चर्चा चारो ओर है।उनका हर किसी से मित्रवत व्यवहार उनके सहज जीवन का उदाहरण है।रिपोर्ट देवेंद्र शर्मा देवू।