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बिज़नेसराजनीति

नोटबंदी के पांच साल : देश में बढ़ी गरीबी, महंगाई और भुखमरी, व्यापारियों की आत्महत्या बढ़ी

Five years of demonetisation: Poverty, inflation and hunger increased in the country, suicides of traders increased

8 नवंबर 21
नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा की गई नोट बंदी के पांच बरस पूरे हो गए। भ्रष्टाचार, आतंकवाद व जाली करेंसी के चलन पर गहरी चोट बताकर लागू किए गए नोट बंदी के फैसले ने देश की दिशा और दशा ह बदल दी। न आतंकवाद खत्म हुआ और न भ्रष्टाचार कम हुआ। हालत यह रही की देश की वित्तीय स्थिति बेहद खराब स्थिति में पहुंच गई। महंगाई आसमान पर पहुंची और गरीबी व भूख में तेजी से इजाफा हुआ है।

व्यापारियों की आत्महत्या बढ़ी :

अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने एक ताजा आंकड़ा जारी किया जिसमें सामने आया है कि  सन 2020 में किसानों की तुलना मे व्यापारियों ने अधिक आत्महत्या की है, पिछले एक साल में 10,677 किसानों की तुलना में 2020 में 11,716 व्यापारियों ने आत्महत्या कीं है, ओर आर्थिक संकट के हालात झेलते हुए व्यापारियों के बीच आत्महत्याओं के प्रतिशत में साल 2019 की तुलना में 2020 में 50 फीसदी की वृद्धि हुई। देश में कुल आत्महत्या का आंकड़ा 10 प्रतिशत बढ़कर 1,53,052 हो गया, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है।

बेअसर रही नोटबंदी :
सरकार ने पांच सौ और हजार नोट बंद करने का ऐलान करते हुए दावा किया था कि देश में ब्लैक मनी खत्म हो जाएगी, लेकिन 99 पर्सेंट पैसा बैंक में वापस आने के कारण यह फैसला बेअसर साबित हुआ था। लोगों का मानना है कि जल्दबाजी में वगैर सभी लाभ-हानि का आंकलन किए इसे लागू कर दिया गया। हालांकि बाद में सरकार ने दो हजार का नोट जारी किया था।

नहीं चल रहा डिजिटल पेमेंट :
नोटबंदी के दौरान देश में डिजिटल और कार्ड पेमेंट्स में बड़ा इजाफा हुआ था। लेकिन, अब एक बार फिर से यह ग्रोथ नोटबंदी के पहले वाले स्तर पर पहुंच गई है। यही नहीं अब तक ऐसा कोई आंकड़ा भी सामने नहीं आया है, हालांकि जीएसटी लागू होने से व्यापारिक लेन-देन डिजिटल हो रहा है।

देश पर मंदी की मार :
रेटिंग एजेंसी ने देश की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान कम करते हुए नोटबंदी को मुख्य कारण बताया था। एजेंसी ने कहा था कि स्लोडाउन की शुरुआत नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी के साथ हुई थी। देश में उत्पादन घटने से नौकरियां कम हुईं और लोगों की आय में कमी आई।

भुखमरी में देश की शर्मनाक स्थिति :
ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2021 की लिस्ट में देश में भुखमरी की स्थिति पहले से भी ज्यादा चिंताजनक हो गई है। 116 देशों की लिस्ट में भारत 101वें नंबर पर आ गया है. इसके पहले 2020 की लिस्ट में भारत 94 वें नंबर पर था। ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट में भारत को खतरनाक हंगर कैटेगरी में रखा गया है। भारत भुखमरी के मामले में पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश से भी पिछड़ गया है। हालांकि, भारत के पड़ोसी देश नेपाल, बांग्लादेश, म्यांमार, और पाकिस्तान को भी खतरनाक हंगर कैटेगरी में रखा गया है, लेकिन फिर भी इन देशों ने हंगर इंडेक्स में भारत से बेहतर प्रदर्शन किया है।

गरीबी भी बढ़ी तेजी से :
भारत में पिछले आठ सालों में गरीबों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। एक रिपोर्ट के अनुसार 2020 तक 7 करोड़ 60 लाख लोग और इस लिस्ट में जुड़ चुके हैं। पिछले कुछ महीनों से देश में बेरोजगारी के आंकड़े भी लगातार बढ़ रहे हैं।
जर्मनी के बोन में स्थित आईजेडए इंस्टीट्यूट आॅफ लेबर इकोनॉमिक्स की रिपोर्ट में ये बातें सामने आईं हैं। रिपोर्ट के अनुसार पिछले आठ वर्षों में गरीबी से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में 76 मिलियन की वृद्धि हुई है। देश में गरीबों की संख्या में इतनी तेज वृद्धि पहली बार देखी जा रही है।

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