बौद्ध आचार्या अर्धदर्शी भंगी राज तिलक के विचार
” जो भी दलित भाई अपने घर में बच्चा पैदा होने पर मनुवादी से बच्चे की जन्म कुंडली बनवाते हैं, क्या लगभग सौ वर्ष पहले उनके पुरखों की जन्म कुंडली किसी मनुवादी ने बनायी हो तो दिखाने का कष्ट करें?
लगभग सौ वर्ष पहले दलित युवक-युवती की शादी की तारीख का निर्धारण क्या मनुवादी करता था ? या वैदिक रीति से विवाह संपन्न कराता था ? यदि किसी दलित के पुरखे का विवाह मनुवादी ने कराया हो तो जरूर बताएं ?
लगभग सौ वर्ष पहले क्या कोई दलित मठ-मंदिर में घुस कर पूजापाठ करता था ? यदि मनुवादी दलितों को मंदिर में घुसने देते तो परम पूज्य बोधिसत्व बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर को नासिक के कालाराम मंदिर में जाने के लिए एवं चौदार तालाब का पानी पीने के लिए आंदोलन नही करना पड़ता।
बाबा साहेब के संघर्षों के बदौलत भारत सरकार अधिनियम सन 1935 के तहत अंग्रेजी शासन में जब अधिकार मिला तो जाहिल अहसान फरामोश दलित बाबा साहेब का गुणगान करने की जगह आर्य समाज, कांग्रेस और गांधी के गुलाम बन गए।
आर्य समाजी भंगियाना में आकर हवन यज्ञ कर भंगियों का शुद्धिकरण करते थे।
गांधी भंगियाना में झाड़ू लगाकर कहते मनुष्य का मैला उठाना ईश्वरीय सेवा के बराबर है।
दक्षिण भारत में देवदासी से जन्में नाजायज संतान जिन्हें हराम का जना या हरिजन कहा जाता था, वही नाम सारे देश के दलित अछूतों को गांधी ने दे दिया था। जिसे उत्तर प्रदेश की प्रथम बसपा सरकार में मुख्यमंत्री बहन कुमारी मायावती जी ने हरिजन शब्द को प्रतिबंधित किया था।
गांधी के पीछलग्गू और पशुवत धर्म पर अटूट आस्था और विश्वास रखने वाले चमार जाति के बाबू जगजीवनराम ने भी जब सारे देश के दलित अछूतों को हराम का जना हरिजन बनाया जा रहा था, तब उन्होनें विरोध न कर सभी दलितों को हरिजन बनाना स्वीकार किया था।
जब बाबा साहेब सम्पूर्ण दलित, पिछडे और नारी जाति की लड़ाई अकेले लड़ रहे थे, तब हजारो और लाखो की तादाद में दलित अछूत मनुवादी दल कांग्रेस की सत्ता को मजबूत कर रहे थे।
जब बहुजन नायक मान्यवर कांशीराम साहेब की अगुवाई में दलित अपने पुरखों का इतिहास पढ़ कर शोषित से शासक बनने के लिए सड़कों पर आंदोलन करने लगा तो कांग्रेस के प्रधानमन्त्री रहे पीवी नरसिम्हाराव को दलित समुदाय की दो बड़ी जातियां भंगी-चमार एकता को भंग करने के लिए योजना बनायी।
भंगी भी हरिजन नाम की पहचान को जब नकार दिये तो पीवी नरसिम्हाराव ने स्वच्छकार विमुक्ति योजना चलाकर भंगियो को नया नामकरण स्वच्छकार कर दिया।
कांग्रेस-भाजपा का जन्म मनुवादी विचारधारा को मजबूत करने के लिए हुआ था।
मनुवादी तभी ताकतवर होगा जब इस देश का दलित, पिछडा और नारी वर्ग अमानवीय धर्म का पक्का गुलाम होगा।
जिनके बाप-दादाओं के छूने से गंदा तालाब का पानी पत्थर का भगवान अपवित्र हो जाता था।
आज उन्हीं दलितों की हरामखोर औलादें सावन के महीना में कांवड़ ढो रही है, नवरात्र में पांडाल सजाते हैं।
बच्चों के जन्म में हो या मरण में, शादी-ब्याह गृह प्रवेश खांसी बुखार तक में पुजारी को बुलाकर सुख शांति का उपाय पूछ्ते हैं। जबकि मनुवादियों ने इनका अहित करने के अलावा हित कभी भी नहीं सोचा है।
सदियों पूर्व इस मुल्क के दलित, पिछडे, अल्पसंख्यक नागवंशी बौद्ध थे। इनकी समण सभ्यता थी।
मनुवादियों ने इन्हे पराजित कर इन पर मनु विधान के तहत सजा मुकर्रर कर इन्हे दंडित किया। जीने के लिए जूठन, पहनने के लिए मुर्दो का कफन, रहने के लिए श्मशान और जंगल दिया।
इस मनुवादी गुलामी से बाबा साहेब ने आजाद तो करा दिया, लेकिन मनुवादियों की जुल्म-ज्यादती, गालियां, गुलामी अब हमारे शरीर के खून में समा गयी है।
इस गंदा खून को शरीर से निकालने के लिए हमें अपनी विरासत, अपनी रियासत, अपनी सियासत को हासिल करने के लिए संघर्ष करना होगा।
मनुवादी सुप्रीम कोर्ट हमारी विरासत,रियासत और सियासत खत्म करने, नौकरियां खत्म करने, संवैधानिक अधिकार खत्म करने का फैसला सुना रहा है, और हम सिर्फ इस पर खुश हो रहे हैं की सरकार मुल्लो को टाईट कर रही है।
फैसला आपको करना है गुलाम ही रहना है या फिर शासक बनना है। हां! बनना है तो दो में एक ही बनना। इस समय बीच के हिजड़े अधिक बन रहे हैं।
आधा अंबेडकर वादी! आधा मनुवादी !
……बौद्धाचार्य अर्थदर्सी भंगी राजतिलक
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