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सलाफी मोलवी इलियास शरफुद्दीन ने की है एकता व भाईचारा तोड़ने की कोशिश, सूफी खानकाह एसोसिएशन ने उठाई कार्रवाई की मांग

Salafi Molvi Ilyas Sharfuddin has tried to break unity and brotherhood, Sufi Khanqah Association demanded action

9 नवंबर 21
कानपुर। सूफी खानकाह एसोसिएशन ने हैदराबाद के सलाफी मोलवी इलियास शराफुद्दीन के बयान को सांप्रदायिक करार देते हुए कार्रवाई की मांग की है। इस संबंध में एसोसिएशन ने कानपुर साउेथ के डीसीपी को ज्ञापन भी दिया है। एसोसिएशन के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी गौरव त्रिपाठी के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल ने डीसीपी साउथ कानपुर नगर से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि जाकिर नायक का समर्थक सलाफी मोलवी ने हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर टिप्पणी करके देश की एकता और भाईचारे को खंडित करने का प्रयास किया है। दरगाह की हिन्दू मुस्लिम एकता को बढ़ाने वाली परंपरा पर अनर्गल प्रलाप करते हुए दरगाह के सज्जादों को अपमानित किया गया है। मोलवी के इस बयचान से करोड़ों देशप्रेमियों की भावनाएं आहत हुई हैं। ऐसे व्यक्ति सहित उन सभी लोगों को जो देश मे सम्प्रदायिकता फैलाने वाले अनर्गल बयान देते हैं उनपर सख्त कार्रवाई की जाए। इस दौरान गौरव त्रिपाठी ने कहा कि सूफीवादी परंपराएं सदैव लोगों को जोड़ने का काम करती चली आई हैं, पवित्र दरगाहों पर मनाई जाने वाली होली, दीवाली और बसंत गंगा जमुनी तहजीब का अंग है। इन पर हमला करना भारत की एकता और अखंडता पर हमला है जिसे सूफी खानकाह एसोसिएशन स्वीकार नहीं करेगा।

एसोसिएशन का संक्षिप्त परिचय :
कौमी सदर सूफी कौसर मजीदी ने बताया कि सूफी खानकाह एसोसिएशन की स्थापना का उद्देश्य भारत की परंपरा, लोक कल्याण पर कार्य करने की रही है। हमारी संस्कृति ने विविध संस्कृतियों को आत्मसात किया और वसुधैव कुटुम्बकम के मंत्र के साथ सम्पूर्ण विश्व के आध्यात्मिक गुरु के रूप में अपनी भूमिका का निर्वहन किया है। पैगंबरे इस्लाम आका ए करीम हजरत मोहम्मद मुस्तफा का फरमान “कुल खिलकत अयाल उल्लाह” यानी सारी मखलूकात अल्लाह का कुनबा है, तसव्वुफ यानी सूफीवाद उसी को धारण करता है।
भारत में इस परंपरा को सरकार गरीब नवाज,ख़्वाजगान चिश्त हुजूर मदारुल आलमीन और मलंगाने मदार ने परवान चढ़ाया। बाबा फरीद की तालीमात जो बाबा बुल्ले शाह तक पहुंची उन्होंने इंसान को हमदर्दी और रवादारी से जोड़ दिया। जब मुल्क को बांटने की सियासत शुरू हुई तो सुना सुना मोहब्बत करो के वारसी मरहम से आलमपनाह सरकार वारिसे पाक ने अल्लाह की मखलूक का इलाज किया। इसके अलावा जब वतने अजीज पर जान देने की बारी आई तो यही सूफी हजरात खानकाहों से निकल कर अपने सरों को कटाने के लिए मैदान में उतर पड़े।
शहीद मजनू शाह मलंग, हाजी इमदाद उल्लाह मक्की सूफी फजले हक खैराबादी, अल्लामा किफायत उल्लाह काफी और अशफाक उल्लाह खान वारसी रहमुल्लाह अलैहिम के वतने अजीज की मोहब्बत जिसका दर्स रहमतुललिल आलमीन ने “हुब्बुल वतनी मिनल ईमान” की तालीम पर चलते हुए खानकाहों की उन्हीं रिवायात को आगे बढ़ाना है।

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