शमसाबाद में अपराधियों का बोलबाला है, बेखौफ हैं अपराधी। उसका कारण है समाचार के साथ लगा चित्र। कानून सो रहा है साहब। चोर-उचक्कों आराम से अपने काम को अंजाम दीजिए।

फर्रुखाबाद 24webnews रविबार को शमसाबाद थाने में ड्यूटी के वक्त मुस्तैद रहने की बजाय नींद के खर्राटे लेने वाले मुंशी के रवैये को लेकर फरियादियों में आक्रोश रहा। फरियादी खड़े थे और साहब की कुम्भकरणी नींद थी जो टूटने का नाम ही नहीं ले रही थी। थाने में मौजूद अन्य खाकीधारियों ने फरियादियों से कहा गया बाद में आना जनाब अभी साहब सो रहे हैं। अगर देखा जाए तो पुलिस विभाग की ड्यूटी वास्तविक कड़ी ड्यूटी है। दिन और रात ड्यूृटी को अंजाम देने वाले पुलिस कर्मियों को आराम के लिए जो समय मिलना चाहिए, वह नहीं मिल पाता। लेकिन खाकी की नींद अपराधियों के लिए तो वरदान बन जाती है। एक कहावत भी है जब नींद सताती है तो फिर अच्छा बुरा कुछ भी याद नहीं रहता। ऐसे ही हालात हमारे शमशाबाद थाने के दबंग मुंशी प्रमोद कुमार यादव के थे जो ड्यूटी के वक्त कुर्सी पर बैठकर खर्राटे मार आराम फरमाते नजर आए। अब या तो यादव जी के पास वर्कलोड ज्यादा है, या फिर इन्हें नींद ज्यादा ही आती है।
सूत्रों के मुताबिक बताया गया है रविवार का दिन था और दोपहर का वक्त था फरियादी अपने अपने काम से आ जा रहे थे। कुछ ऐसे भी थे जो उत्पीडऩ संबंधी समस्याओं को लेकर थाने के गेट पर बैठे हुए थे लोगों का कहना था। जब वह शिकायती पत्र लेकर अंदर गए तो कुर्सी पर ही बैठ मुंशी जी खर्राटे मार कर सो रहे थे। इसी दौरान थाने के ही एक पुलिस कर्मी ने उन्हें हिदायत देकर बाहर का रास्ता दिखा दिया। कहा यहाँ बैठो जब साहब जाग जाए तो फरियाद करना। देखते नहीं अभी साहब सो रहे हैं। अभी जाइए, जब साहब जाग जाएं तब आना। सूत्रों के मुताबिक ऐसे कई फरियादी थे जो अपनी अपनी समस्याओं को लेकर शमशाबाद थाने के दरबार में पहुंचे लेकिन जब मुंशी जी को ड्यूटी के वक्त सोते हुए देखा तो हिम्मत नहीं हुई उन्हें जगाने की आखिर होती भी कैसे? पता नही मुंशी जी के जागने के बाद उनका रवैया क्या होता। सोने वाले साहब अगर जाग जाते तो, उनके गुस्से का आलम क्या होता? सूत्रों के मुताबिक़ दोपहर के वक्त तमाम लोगों को अपनी अपनी शिकायतों के निस्तारण के लिए थाना परिसर के बाहर गेट के पास मुंशी के जागने का लोगो को इंतजार करते हुए देखा गया। मगर मुंशी जी नींद के खर्राटों में मस्त चैन की नींद सोते रहे।